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शुभ प्रभात




आज दिनांक २३.८.२३ को प्रदत्त स्वैच्छिक विषय पर मेरी प्रस्तुति:
वास्ते प्रतियोगिता
भजन:

बड़ा शुभ प्रभात है आज,आओ प्रभाती गाएं,
जिसने दिया मानव तन हमको उस प्रभु के गुण गाएं।

तेरा प्यार बसा है दिल मे जायें तो अब जायें कहां,
हे ईश्वर परवर दिगार,अब तुझे छोड़ मेरा ठौर कहां।

तेरी आराधना की है मैंने अब और किसी की चाह नहीं,
तेरी शरण मे आया हूं मैं,जो भी होगा परवाह नहीं।

तेरे चरणों में ऐ भगवन मैं अद्वितीय सुख पाता हूं,
जो भी दिया है तू ने मुझको मैं परम सुख पाता हूं।

तुझसे दयावान नहीं कोई मैं किससे याचना करूं,
तेरी कृपा से सब मिल जाता मैं क्यों किसी से उम्मीद करूं।

तेरी शरण मे जब से आया लोभ-मोह सब नष्ट हुआ,
दिन भर तेरा भजन हूं करता ,मन न कहीं आकृष्ट हुआ।

रात्रि मे सपने भी मन मे नही कोई दिखाई देते हैं,
ऐंसी प्यारी नींद आती है,रात्रि पर मिनटों मे गुज़रते है।

ऐंसा वरदान दे दे मुझको मैं चरणों मे तेरे पड़ा रहूं,
भटक न पाए मेरा मन अब आराधना तेरी ही करूं ।

आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़




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3 Comments

Abhinav ji

24-Aug-2023 06:39 AM

Very nice

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Reena yadav

24-Aug-2023 06:18 AM

👍👍

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